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Clean Survey 2021 में "इंदौर" नंबर 1 तो "मध्यप्रदेश" देश का तीसरा सबसे स्वच्छ राज्य बना

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में मध्यप्रदेश के चार शहर टॉप20 में शामिल हुए हैं। जिसमें पहले नंबर पर इंदौर, सातवें नंबर पर भोपाल, 15वें पर ग्वालियर और 20वें पर जबलपुर रहा है। इंदौर ने लगातार पांचवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का अवार्ड पाया है। तथा मध्यप्रदेश देश का तीसरा सबसे स्वच्छ राज्य चुना गया। विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत मध्यप्रदेश को कुल 31 अवार्ड प्राप्त हुए हैं। धार्मिक नगरी उज्जैन भी देश का दसवां सबसे स्वच्छ शहर बनकर उभरा, उज्जैन के साथ ग्वालियर को भी 3 स्टार रेटिंग मिली है। इसके अलावा पचमढ़ी, देवास, होशंगाबाद, बड़वाह को क्लीन अवार्ड से नवाजा गया। मध्यप्रदेश के प्रतियोगी शहरों में से इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर तो भिंड प्रदेश का सबसे गंदा शहर बना। एमपी के एक शहर को 5* स्टार, नौ को 3* स्टार और 17 को 1* स्टार रेटिंग प्राप्त हुई है।

चम्बल घाटी के भिंड में नहीं है विकास, यह है एमपी का सबसे पिछड़ा शहर...

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अक्सर कुछ लोगों को #शिकायत रहती हैं कि #मालनपुर ओद्योगिक क्षेत्र का लाभ भिंड जिले को नहीं मिलता है। इसी मुद्दे का लाभ उठाकर क्षेत्रीय नेता भी भेदभाव दिखाकर लोगो को बरगलाते है। सच तो ये है कि असल में भिंड शहर का स्थानीय नेता मालनपुर के विकास से जलता है। क्योंकि भिंड विधानसभा से निकला नेता भिंड क्षेत्र में कोई खास विकास के काम करवा नही पाया। जैसे कि फैक्ट्री, मेडिकल कालेज, यूनिवर्सिटी, सेंट्रल या राज्य का कोई हेड ऑफिस, दूरदर्शन रिले केंद्र, 6 लेन हाई वे, ऑडिटोरियम, जू, संग्रहालय, रोपवे, फ्लाई ओवर ब्रिज, रिंगरोड, हाट बाजार, मॉल, इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलीटेक्निक कॉलेज, अच्छी सड़के, मनोरंजन पार्क आदि भिंड में नही है।        हमे इस बात को समझना चाहिए कि भिंड शहर में नही तो भिंड जिले में कहीं तो कुछ अच्छा हो रहा है। अगर हम ऐसे ही अटेर-आलमपुर, मिहोना-मेहगांव, अकोड़ा-अमायन, गोहद-गोरमी के आपसी खींचतान में उलझे रहे तो बाजी कोई दूसरा मार ले जाएगा।      एक ख़ास बात और बता दूं कि भिंड जिले में प्रस्तावित हुआ इंडस्ट्रियल एरिया को मालनपुर ने किसी से छीना नही था बल्कि उसे उसकी लोकेशन का फायदा

ज्योतिरादित्य सिंधिया: King of Gwalior, Minister of parliament, Aviation Minister

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मेरा मध्यप्रदेश श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया  • श्रीमंत  ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर स्टेट के वंशज है। ग्वालियर राजघराने  के मराठा शाही परिवार के वंशज आज 'सिंधिया' कहलाते है। • ग्वालियर स्टेट की अंतिम महारानी राजमाता  विजयाराजे सिंधिया थी, जिन्होंने जनसंघ की स्थापना की थी। इन्होंने ही श्री अटल बिहारी बाजपेई जी को पहली बार अपनी पार्टी से टिकट दिया था। • ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता श्रीमंत माधवराव सिंधिया कांग्रेस के एक बड़े नेता थे। खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस सरकार में कई अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा चुके है। • वर्तमान मोदी सरकार में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया नागरिक उड्डयन मंत्री है। • ज्योतिरादित्य सिंधिया आज मध्यप्रदेश के एक बड़े प्रभावशाली और लोकप्रिय नेता है। जिनके समर्थक ग्वालियर में ही नहीं अपितु मध्यप्रदेश के हर जिले में बड़ी संख्या में मिल जाएंगे। • सिंधिया खानदान का भव्य निवास स्थान 'जयविलास महल' ग्वालियर में स्थित है। जिसके एक हिस्से में पर्यटन विभाग का म्यूजियम संचालित है। • राजमाता की पुत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री रह

मध्यप्रदेश के युवा लोकप्रिय नेता : श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया

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मेरा मध्यप्रदेश केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद पहली बार अपने गढ़ ग्वालियर में पधारे श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया का भव्य स्वागत किया गया। मध्यप्रदेश बीजेपी इकाई ने महाराज के नाम से चिरपरिचित jyotiraditya Scindia का ग्वालियर में ऐतिहासिक स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया।     रोड शो के दौरान सिंधिया के स्वागत हेतु सैकड़ों जगहों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित हुए, सिंधिया की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार के अनेको मंत्रियों, विधायकों, पूर्व मंत्रियों, सांसदों, पूर्व विधायकों, केंद्रीय मंत्री, हजारों की संख्या में पुलिस बल, कई जिलों के हजारों कार्यकर्ता और पुलिस प्रशासन के अनेकों बारिष्ठ अधिकारी, कलेक्टर आदि लोग उनके स्वागत कार्यक्रम की व्यवस्था खुद संभाल रहे थे। इस भव्य स्वागत कार्यक्रम में पूरे प्रदेश और देश के अनेक हिस्सों से सिंधिया के समर्थक और बीजेपी के कार्यकर्ता लाखों की संख्या में पहुंचे थे। मध्य प्रदेश के इतिहास में अबतक इतना भव्य और सम्मानजनक स्वागत कार्यक्रम और रोड शो किसी भी व्यक्ति का नहीं हुआ। Shri Jyotiraditya Scindia     इससे पहल

"राजा मिहिरभोज" - राजपूत या गुर्जर ?

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 पोल खोल  राजनीतिक दल अब महापुरुषों की पहिचान जातियों से करने पर तुले हैं, ताकि उनके जरिए उस जाति के वोटरों के बीच अपनी चुनावी जमीन बना सकें। हमे उन नेताओं के बहकावे में नहीं आना है जो किसी भी प्रकार से जातिगत लड़ाई को बढ़ावा देते हो।     राजा मिहिरभोज प्रतिहार और पृथ्वीराज चौहान को लेकर इतिहास में उनकी जानकारियों का उल्लेख होने के बाबजूद कुछ विशेष मानसिकता के लोग उनको अपनी-अपनी जाति का बता रहे है। मेरी नजर में राजा मिहिर भोज को अपना बताना गलत बात नहीं है, पर इतिहास के बारे में भ्रम फैलाना और सामाजिक माहौल को खराब करना गलत बात है। अलग अलग जातियो को अपने पाले में करने के लिए राजनीतिक दलों के लोगों के बीच यही जबरदस्त खींचतान चल रही है।    मेरी हर देशवासी से अपील है कि महाराणा प्रताप, शिवाजी, पृथ्वीराज चौहान, मिहिरभोज, परशुराम, सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मौर्य, अम्बेडकर, रामधारी दिनकर, विश्वकर्मा जी, स्वामी विवेकानंद, सरदार पटेल आदि अन्य महापुरुषों को उनकी जाति से नही बल्कि उनके कर्मों से पहचाना जाएं। क्योंकि देश के हर महापुरुष का सम्मान और आदर करना हमारा कर्तव्य है। 

पचनदा (Pachnada) पांच नदियों का संगम स्थल

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पांच नदियों का संगम स्थान - " पचनदा " यमुना में चम्बल, सिन्ध, क्वारी और पहुज मिलने को ही पचनदा कहते है। इन नदियों के तट पर अनेक मंदिर बने हुए हैं।  यह स्थान चार जिलों इटावा, औरेया, जालौन और भिंड की सीमाओं के निकट का क्षेत्र है। यह क्षेत्र डाल्फिन मछली के प्रजनन का प्रमुख स्थल भी है। इस पवित्र, धार्मिक, पौराणिक संगम क्षेत्र को पंचनदा या पंचनद भी कहा जाता है।     डाकुओं के प्रभाव के चलते और आजादी के बाद से पांच नदियों के एक मात्र पवित्र संगम स्थल पचनदा को विकसित करने की दिशा में किसी भी राजनैतिक दल ने हिम्मत नहीं दिखाई। यदि पचनदा विकसित पर्यटन केंद्र बन जाएगा तो यहां पर देश दुनिया के तमाम पर्यटक और श्रद्धालु इस स्थल को निहारने जरूर आयेंगे। केंद्र और उत्तरप्रदेश सरकार को इस परिक्षेत्र के लिए विशेष आर्थिक पैकेज देना चाहिए ताकि चंबल में ऊंचे-ऊंचे मिट्टी के टीलों को काट कर उनका समतलीकरण हो और नदियों पर छोटे चेकडैम बन सके।

15 अगस्त के दिन भारत आजाद हुआ और अफगानिस्तान गुलाम हो गया...

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देश की मौजूदा मोदी सरकार बीते सालो की अपेक्षा में आर्थिक और विकास मामलों में पिछड़ती नजर आईं और विदेश मामलों में भी अपने सहयोगी विदेशी सरकारों से रिश्ते नहीं निभा पाई। इस दरमियान नेपाल पर चीन की पकड़ मजबूत हुई और अफगानिस्तान पर तालिबानी आतंकवादियों का कब्जा हो गया। भारत सरकार से रक्षा की उम्मीद लगाए बैठे अफगानिस्तान के लाखों लोग आज मित्र राष्ट्र हिंदुस्तान के प्रयासों से नाखुश जरूर होंगे। भारत के मूक दर्शक बनने के कारण दुनिया के कई कमजोर लोकतांत्रिक देश भारत पर अपनी निर्भरता नहीं रखना चाहेंगे।    आजादी के 75वें साल में हम 10% विकास दर भी नहीं छू पाएं, कोरोना काल के मंजर के बाद देश भारी किल्लतो से जूझ रहा है। देश के अंदर बेरोजगारी बढ़ चुकी है, व्यापारी वर्ग कर्ज में डूबा है, मजदूर लाचार है, वेतन और अन्य भुगतान रुके पड़े है, बस और ट्रक मालिक दिवालिया हो गए, डीजल और पेट्रोल रिकॉर्ड महंगाई को पार कर गए है। इसके अलावा भाड़ा, किराया, गैस सिलेंडर, खाना, राशन आदि आवश्यक चीजें काफी महंगी हो गई है।      पिछले समय में दुनिया ने कोरॉना की गंभीर मार झेली तथा हाल ही में बाढ़ ने भी कई राज