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Showing posts from 2018

सतना SATNA

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सतना विंध्य पर्वत माला के बघेलखंड क्षेत्र में रीवा संभाग के अंतर्गत आने वाला जिला है| सतना जिला सीमेंट, चूना और बीड़ी उद्योग में काफी आगे है| साथ ही इस जिले का चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय और अलाउद्दीन संगीत अकादमी अपनी अलग पहिचान रखता है| सतना के पड़ोसी जिलो में मध्य प्रदेश के रीवा, कटनी, उमरिया, शहडोल, सीधी, पन्ना और उत्तर प्रदेश का बाँदा जिला पड़ता है| सतना जिला अपने भौगोलिक स्थान यानि विंध्य श्रेणी के प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटको को अपनी ओर बरबस ही खीचता है| जिले की धरा पर बहने वाली नदियों मे सोन, टोस, सत्ना और पासुनी नदिया प्रमुख है| सतना जिले को 10 तहसीलो में वर्गीक्रत किया गया है - नागौद, रामपुर बघेलन, बीरसिंहपुर, मईहर, अमरपाटन, मझगवा, उचेहरा, कोटर, सतना और रामनगर | * TOURIST PLACE :- ● चित्रकूट - एक पवित्र, धार्मिक स्थल जहाँ प्रभु श्री राम ने वनवास के कई साल सीता जी और भाई लक्ष्मण के साथ इसी चित्रकूट के वन में रहकर बिताए थे| चित्रकूट के घने जंगल, घाटिया, पहाड़, झरने, नदिया और मंदिर श्रद्धालुओ की जिज्ञासा का हमेशा केन्द्र रहा है| चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत,

Shivpuri शिवपुरी

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              Shivpuri  District म.प्र. के उत्तर पश्चिम दिशा में ग्वालियर संभाग के अंतर्गत शिवपुरी जिला है| जिसकी सीमा झाँसी (उ.प्र.) और कोटा (राजस्थान) को छूती है| इसके पड़ोसी जिलो मे दतिया, ग्वालियर, श्योपुर, गुना, अशोकनगर आदि (म.प्र.) के जिले  है| शिवपुरी जिले को 9 तहसीलो और 5 विधानसभा क्षेत्रो मे बाँटा गया है| 20 लाख की आवादी वाले शिवपुरी जिले मे प्रकृति की अनुपम छटा बिखरी हुई है| अगर आपको वन, पहाड़, झरने, डैम, किले, मंदिर, म्यूजियम आदि के दर्शन एक बार मे ही एक जगह करने हो तो शिवपुरी से बेहत्तर कोई भी स्थान नही हो सकता| अपार पर्यटन की संभावनाओ की बजह से शिवपुरी को मध्यप्रदेश राज्य की पहली पर्यटन नगरी का गौरव प्राप्त है| शिवपुरी के अनुकूल मौसम और सुंदरता की बजह से ग्वालियर रियासत के सिंधिया शासको ने शिवपुरी को अपनी ग्रीष्म कालीन राज़धानी बनाया था| आज भी यहां आपको सिंधिया वंश से जुड़ी यादे देखने को मिलेगी| जिनमे उस काल के मंदिर, महल और छतरियाँ प्रमुख है| शिव जी के मंदिर अधिक होने से इस शहर का नाम सीपरी से शिवपुरी पड़ा|                         Chhatari of Queen शिवपुरी से दो

मध्यप्रदेश गीत

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Madhyapradesh is the biggest state of India, There are many Tourist places here. This poem dadicate to the Heart of india. साँची, भीमबेटका मध्य भारत की शान, खजुराहो, अमरकंटक की बात ही कुछ खास, पत्थर की मूर्तियो मे बसी हो जैसे जान  | ग्वालियर, चंदेरी पर इतिहास हुआ कुर्बान, चित्रकूट, ओरछा मे बोलो जय सीता राम,   महेश्वर मे नर्मदा, उज्जैन मे क्षिप्रा तट,  सोनागिरि, रतनगढ़, बटेश्वर के धर्म स्थल, अपने तात्या, लक्ष्मीबाई पर हमको भारी घमंड, जय जय भारत, जय चम्बल, जय बुन्देलखंड | India's  Heart :  Madhyapradesh  State.

omkareshwar ओमकारेश्वर

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मध्यप्रदेश के खण्डवा जिले मे देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतीर्लींगो में से एक ओंकारेश्वर मंदिर है। यह स्थान पवित्र धार्मिक स्थान होने के साथ ही अत्यंत रमणीय प्राक्रतिक स्थान है जो देश की पवित्र नदियों में से एक नर्मदा जी के द्वारा विभक्त 2 पहाड़ी तटो पर स्थित हैं | इसके एक तट पर ॐकारेश्वर मंदिर और दूसरे तट पर ममलेश्वर मंदिर है|ये दोनों किनारे पर आवागमन के लिए नर्मदा नदी पर एक पुल बनाया गया है, जो झूलता हुआ नजर आता है क्योंकि इसके बीच मे खम्बे नही है | यहां आकर मँधाता  पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है| इस पर्वत का नाम इछ्वाकु वंश के शिव भक्त राजा और मुचुकन्द के पिता मँधाता के नाम पर पड़ा, क्योंकि  उन्होने इसी पर्वत पर शिव जी की तपस्या की थी | यह पर्वत ओंकार के स्वरूप में दिखाई पड़ता है इसलिये इस जगह का नाम ओमकारेश्वर पड़ा|      प्रसाद के रूप में ओमकारेश्वर के शिव मंदिर में चने की दाल चढ़ावे की विशेष परंपरा है| यहां आकर  अनेको मंदिर, घाटों,  प्राकृतिक खूबसूरती को संजोए पर्वत और पास ही नर्मदा नदी पर बने बाँध आदि  के नजारे ज्यादा सुंदर दिखाई देते हैं। बोटिंग का लुत्फ भी यहां लिया जा सकता है| न

Mandu मांडू

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मांडू का पुराना नाम मांडव है, जो मध्यप्रदेश के धार जिले मे स्थित एक प्राचीन गाँव है| मांडू मालवा के पठार पर स्थित है जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई करीब 2 हजार फीट है| मान्डव के दक्षिण दिशा मे निमाड क्षेत्र का विस्तार है| बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा ऊदल ने इसी जगह आकर युद्ध किया था, जिसे इतिहास मे माड़ौगढ की लड़ाई के नाम से जाना जाता है| 10वी सदी मे परमार वंश के शासको ने सर्वप्रथम मांडू को अपनी राजधानी बनाया था | परमार वंश के प्रतापी राजा जयवर्मन और भोजराज हुए, नीलकंठ महादेव मंदिर उसी काल का बना है | जिनमे राजा भोजराज ने मांडू से दूर अन्य जगह झीलो के किनारे अपनी नई राजधानी बनाई, जिसका बाद मे नाम भोपाल पडा |    13वी सदी मे मांडू पर मुगलो ने कब्जा कर लिया था | ग्यासुद्दीन और बाजबहादुर के काल मे यहाँ अनेक महल और किले बनवाये गये इसलिये मांडू को किलो की नगरी कहते है| बाद मे मांडव इन्दौर की मराठा रियासत के अधिपत्य मे आ गया था | दिल्ली दरवाजा, जहाँगीर दरवाजा, तारापुर दरवाजा इस नगर के प्रमुख प्रवेश द्वार है     मांडू एक छोटा सा, कम आबादी वाला विस्त्रत क्षेत्रफल मे फैला पहाढी गाँव है| पहाढी इला

Gwalior City ग्वालियर शहर

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ग्वालियर मध्यप्रदेश राज्य का चौथा बडा महानगर है | शहर की आवादी करीब 15 लाख है | कालांतर मे गुर्जर, प्रतिहार, तोमर और कछवाह राजपूतो ने ग्वालियर को अपनी राजधानी बनाया था | 15वी सदी के समय राजा मानसिंह तोमर के राजकाल मे यहाँ संगीत को बहुत बढावा मिला | अकबर के नवरत्नो मे से एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ तानसेन का जन्म ग्वालियर मे हुआ था | ग्वालियर पर अंतिम शासन सिंधिया मराठा राजपूतो का शासन रहा | इस काल मे ग्वालियर शहर मध्यभारत एक प्रमुख व्यवसायिक केंद्र रहा | देश की आजादी के बाद नये राज्य मध्यभारत का उदय हुआ तब 1947 मे ग्वालियर इसकी राजधानी बना | इस शहर मे आपको अनेक प्राचीन मंदिर, स्मारक, महल और किला देखने को मिल जायेंगे | गालव ऋषि के नाम पर इस स्थान का नाम ग्वालियर पडा | आज यह एक आधुनिक, औधोगिक और पर्यटन शहर है |                          मानसिंह पैलेस *TOUR -: (1) Maansingh Palace = मानसिंह पैलेस यानि राजा मानसिंह तोमर द्वारा निर्मित यह महल गोपाचल पर्वत पर स्थित है | इस जगह से आप आधे शहर का नजारा देख सकते है | इसका दूसरा नाम मानमंदिर किला भी है, यह किला संपूर्ण मध्यप्रदेश मे सबस