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Showing posts from November, 2017

Mata Ratangad Mandir ( रतनगढ माता धाम )

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दतिया जिले की सेवढा तेहसील मे जंगलो के बीच सिन्ध नदी किनारे एक पहाढी पर माता रतनगढ वाली और कुँवर बाबा का परस्पर आमने सामने मंदिर है| जो रिस्ते मे भाई बहिन है| इस स्थान पर दुनिया का सबसे बडा घंटा लगा हुआ है, जिसका बजन 2 टन है| रतनगढ़ का माता शक्तिपीठ देशभर मे प्रसिद्ध है जहाँ सर्पदंश से पीड़ित लोग अपना बँध तुड़वाने के लिये दूर-दूर से आते है|     चुकि बँध एक अस्थाई निशान है जो सर्प के काटने पर व्यक्ति तुरंत बिष वाले स्थान के चारो तरफ उँगली फेरकर मिट्टी या भभूति से बना लेता है| बाद मे कभी भी दिवाली वाली भाई दूज पर सर्पदन्श से पीडित उक्त व्यक्ति को बँध तुड़वाने के लिये रतनगड़ धाम पर कुँवर बाबा और माता के दरबार मे आना होता है| कार्तिक माह की भाई दूज और नवरात्री पर तो यहाँ भक्तो की भारी भीड़ होती है, माता के मंदिर मे जवारे चढाने के लिये भक्तो का जनसैलाब उमड़ता है|     यहाँ आकर साक्षात शक्ति के दर्शन हो जाते है, भाई दूज पर सर्पदन्श से पीडित इंसान या जानवर दूर से ही मंदिर को देखकर मूर्क्षित हो जाते है| फिर उस व्यक्ति को कुछ आदमी स्ट्रेचर या कंधो पर उठाकर सीढियो के सहारे मंदिर तक पहुँचाते है

बुरहानपुर ( Burhanpur )

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मध्यप्रदेश के दक्षिण पश्चिम मे महाराष्ट्र राज्य की सीमा से लगा हुआ निमाड़ क्षेत्र का मुगलकालीन नगर बुरहानपुर अब जिला मुख्यालय है जो दक्षिण और उत्तर भारत के बीच पुराना व्यापारिक रास्ता हुआ करता था | इस नगर की स्थापना शासक नसरुद्दीन ने 14 वी सदी मे की थी | बाद मे अब्दुल रहीम खाँन खाना यहाँ के सुल्तान रहे | ताप्ती नदी के किनारे बसे इस शहर मे अनेको एतिहासिक स्थापत्य कला की इमारते है |  रुई, मखमल और जरी के लिये बुरहानपुर प्रसिद्ध था | बादशाह शाहजहाँ की प्रिय बेगम मुमताज की नगरी बुरहानपुर ही थी, सन 1531 ई. मे मुमताज की म्रत्यु के बाद बादशाह ने उनकी अस्थिया यहाँ से आगरा मे ले जाकर उनकी याद मे खूबसूरत मकबरे ताजमहल का निर्माण करवाया था | आज बुरहानपुर जिले मे 3 तेहसीले नेपानगर, बुरहानपुर और खकनार है | शाहपुर इस जिले का चौथा बडा कस्बा है | नेपानगर जिले का औधोगिक नगर है, यहाँ मध्यप्रदेश का सबसे बडा पेपर मिल है | केले की खेती के लिये यह जिला प्रसिद्ध है | Tourism-: 1. सिंघखेडा = बुरहानपुर से 20 Km दूर यहाँ शाहजहाँ द्वारा निर्मित सुंदर गुलआरा महल है | 2. असीरगढ किला = बुरहानपुर से 21 km दूर खंडवा

Morena मुरैना

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म.प्र. के उत्तर मे ग्वालियर से 30 Km दूर राजस्थान की सीमा से सटा हुआ मुरैना जिला है | इसके पडोसी जिले भिन्ड, श्योपुर, ग्वालियर, धौलपुर है | चम्बल सम्भाग का मुख्यालय मुरैना जिला तेल और गजक उधोग के लिये विश्वप्रसिद्ध है | बानमोर यहाँ का प्रमुख औधोगिक कस्बा है | चम्बल, सांक, आसन और कुंवारी नदियो के किनारे बीहड़ का क्षेत्र है, जो बागियो का गढ कहलाता था | महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल की जन्मभूमि मुरैना मे गेंहू, सरसो, चना की पैदावार अधिकता से है | https://m.facebook.com/ग्वालियर-शहर-1674209349477552/?ref=bookmarks Tourism-: 1. राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारन्य= चम्बल नदी के किनारे फैले इस क्षेत्र मे घडियाल, मगर, कछुए, डाल्फिन और ऊदविलाव जैसी अनेको जलीय प्रजातिया पाई जाती है | देवरी के पास वोटिंग का मजा ले और नवम्बर से मार्च तक प्रवासी पक्षी देखने को मिल जाते है | 2. ककनमठ= 11वी सदी का कीर्तिराज कछवाह द्वारा निर्मित 35 मी. ऊंचा प्राचीन महादेव मंदिर है | 3. जैनमंदिर= शांतिनाथ, आरहनाथ, पाशर्वनाथ, कुन्थनाथ और आदिनाथ भगवान के प्राचीन मंदिर और मूर्ति समूह सिहोनिया मे बने है | 4. बटेश्