Mata Ratangad Mandir ( रतनगढ माता धाम )
दतिया जिले की सेवढा तेहसील मे जंगलो के बीच सिन्ध नदी किनारे एक पहाढी पर माता रतनगढ वाली और कुँवर बाबा का परस्पर आमने सामने मंदिर है| जो रिस्ते मे भाई बहिन है| इस स्थान पर दुनिया का सबसे बडा घंटा लगा हुआ है, जिसका बजन 2 टन है| रतनगढ़ का माता शक्तिपीठ देशभर मे प्रसिद्ध है जहाँ सर्पदंश से पीड़ित लोग अपना बँध तुड़वाने के लिये दूर-दूर से आते है| चुकि बँध एक अस्थाई निशान है जो सर्प के काटने पर व्यक्ति तुरंत बिष वाले स्थान के चारो तरफ उँगली फेरकर मिट्टी या भभूति से बना लेता है| बाद मे कभी भी दिवाली वाली भाई दूज पर सर्पदन्श से पीडित उक्त व्यक्ति को बँध तुड़वाने के लिये रतनगड़ धाम पर कुँवर बाबा और माता के दरबार मे आना होता है| कार्तिक माह की भाई दूज और नवरात्री पर तो यहाँ भक्तो की भारी भीड़ होती है, माता के मंदिर मे जवारे चढाने के लिये भक्तो का जनसैलाब उमड़ता है| यहाँ आकर साक्षात शक्ति के दर्शन हो जाते है, भाई दूज पर सर्पदन्श से पीडित इंसान या जानवर दूर से ही मंदिर को देखकर मूर्क्षित हो जाते है| फिर उस व्यक्ति को कुछ आदमी स्ट्रेचर या कंधो पर उठाकर सीढियो के सहारे मंदिर तक पहुँचाते है