"राजा मिहिरभोज" - राजपूत या गुर्जर ?

 पोल खोल 

राजनीतिक दल अब महापुरुषों की पहिचान जातियों से करने पर तुले हैं, ताकि उनके जरिए उस जाति के वोटरों के बीच अपनी चुनावी जमीन बना सकें। हमे उन नेताओं के बहकावे में नहीं आना है जो किसी भी प्रकार से जातिगत लड़ाई को बढ़ावा देते हो।

    राजा मिहिरभोज प्रतिहार और पृथ्वीराज चौहान को लेकर इतिहास में उनकी जानकारियों का उल्लेख होने के बाबजूद कुछ विशेष मानसिकता के लोग उनको अपनी-अपनी जाति का बता रहे है। मेरी नजर में राजा मिहिर भोज को अपना बताना गलत बात नहीं है, पर इतिहास के बारे में भ्रम फैलाना और सामाजिक माहौल को खराब करना गलत बात है।


अलग अलग जातियो को अपने पाले में करने के लिए राजनीतिक दलों के लोगों के बीच यही जबरदस्त खींचतान चल रही है। 

  मेरी हर देशवासी से अपील है कि महाराणा प्रताप, शिवाजी, पृथ्वीराज चौहान, मिहिरभोज, परशुराम, सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मौर्य, अम्बेडकर, रामधारी दिनकर, विश्वकर्मा जी, स्वामी विवेकानंद, सरदार पटेल आदि अन्य महापुरुषों को उनकी जाति से नही बल्कि उनके कर्मों से पहचाना जाएं। क्योंकि देश के हर महापुरुष का सम्मान और आदर करना हमारा कर्तव्य है। 


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