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Showing posts from 2017

पन्ना Panna

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मध्यप्रदेश राज्य मे सागर सम्भाग के अन्तर्गत पन्ना जिला आता है | इसके पड़ोसी जिलो मे सतना, कटनी, दमोह, छतरपुर और बाँदा है | पन्ना जिला हीरो की खदानो और पन्ना टाइगर रिजर्व के बजह से दुनियाभर मे विख्यात है | पन्ना जिले की प्रमुख नदी केन है, जो मगर और घडियालो का जलीय आवास है | पन्ना जिले मे 8 तेहसीले - पन्ना, पवई, अजयगढ, अमनगंज, देवेंद्रनगर, शाहनगर, गुन्नोर और राजपुरा है | पन्ना शहर डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता है | इसका प्राचीन नाम पद्मा और पर्णा था | विन्ध्य क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले पन्ना को 16 वी सदी मे वुन्देला वंश के राजा छत्रसाल ने इसे अपनी राजधानी बनाया था | प्राक्रतिक रूप से सम्रद्ध पन्ना जिले मे पहाड़, वन, नदी, तालाब और अनेक खदाने है | पन्ना जिले मे चावल, गेंहू, ज्वार और तिलहन की पैदावार बहुता से होती है | जबकि क्रषि उत्पाद, वन्य उत्पाद और बुनाई केंद्र इस जिले के व्यापार को सम्रद्ध करते है | पन्ना जिला पेयजल व्यवस्था के लिये प्राचीन काल से ही एक नजीर रहा है, यहाँ अनेको बडे तालाब जैसे धरम सागर, बैनीसागर, लोकपाल ताल, जोधपुर तालाब आदि इसका उदाहरण है | शिक्षा के लिये जिले मे

Datiya दतिया

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दतिया जिला मध्यप्रदेश के ग्वालियर सम्भाग मे उत्तरप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है | दतिया जिले की पडोसी सीमा मे भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी, झाँसी और जालौन जिले लगते है| सिन्ध और पहुज नदिया जिले मे होकर बहती है| क्षेत्रफल की दृष्टि से दतिया राज्य का सबसे छोटा जिला है| दतिया पुरातन काल मे दंतबक्त्र की राजधानी थी | जिले मे तीन तेहसीले दतिया, सेवढा और भांडेर है| इन्दरगढ इस जिले का चौथा बड़ा कस्बा है| जिले मे मुख्यत: गेहू, दलहन, बाजरा, ज्वार की फसले होती है|      दतिया प्राचीन कालीन बुन्देलखंड रियासत का प्रमुख राज्य था | दतिया मे राजा बीरसिंह जूदेव ने अपने काल (17वी सदी) मे महल, बाग, तालाब और अनेक मंदिरो का निर्माण करवाया था | इसके अलावा जिले मे अनेक महत्तवपूर्ण पर्यटन स्थान है, जहाँ बडी संख्या मे लोग आते है | * TOUR -: 1. वीरसिंह महल = दतिया शहर मे एक पहाडी पर सतखंडा महल बना है जो स्वास्तिक के आकार मे पत्थरो से बना है | इसके निर्माण मे लकडी और लोहे का उपयोग नही किया गया है| यहाँ कई सुंदर छत्रिया भी निर्मित है| महल मे भित्ति चित्र, मूर्तिया प्रमुख आकर्षण का केंद्र है| यह महल दतिया शहर के किनार

indore (इन्दौर)

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जनसंख्या की नजर से इन्दौर शहर मध्यप्रदेश राज्य का सबसे बडा शहर होने के साथ साथ प्रदेश की आर्थिक राजधानी भी है | यह मिनी बोम्बे के नाम से भी देशभर मे मशहूर है | मालवा के पठार मे स्थित इन्दौर क्रषि और शिक्षण के क्षेत्र मे काफी सम्रद्ध है | इन्दौर जिसका प्राचीन नाम इंद्रपुर था, यहाँ 17वी सदी से मराठा साम्राज्य का अधिपत्य रहा, जिनके शासको मे बाजीराव पेशवा, मल्हारराव होल्कर, यशवन्तराव होल्कर और अहिल्याबाई का नाम प्रमुख है | स्वतंत्र भारत मे इन्दौर मध्यभारत की संयुक्त राजधानी भी रही |    इन्दौर मे प्रदेश की सबसे बडी व्यापारिक मंडिया है | इन्दौर जिले मे सोयाबीन, मूँगफली, गेंहू आदि फसलो की अधिकता से उपज होती है | यहाँ आईटी पार्क स्थापित किया गया है जहाँ कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनी जैसे इन्फोसिस, टाटा कंसल्टेंसी ने अपने विकास केंद्र स्थापित किये है | मध्यप्रदेश का स्टोक एक्सचेंज भी यही है, मालवा मध्यप्रदेश का सबसे बडा औधोगिक क्षेत्र है, इन्दौर के निकट पीथमपुर मे अनेको अंतर्राष्ट्रीय स्तर के छोटे बडे कारखाने स्थापित है | Institute-: इन्दौर मे कई बडे राष्ट्रीय स्तर के शैक्षनिक संस्थान है, जिनमे

Mata Ratangad Mandir ( रतनगढ माता धाम )

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दतिया जिले की सेवढा तेहसील मे जंगलो के बीच सिन्ध नदी किनारे एक पहाढी पर माता रतनगढ वाली और कुँवर बाबा का परस्पर आमने सामने मंदिर है| जो रिस्ते मे भाई बहिन है| इस स्थान पर दुनिया का सबसे बडा घंटा लगा हुआ है, जिसका बजन 2 टन है| रतनगढ़ का माता शक्तिपीठ देशभर मे प्रसिद्ध है जहाँ सर्पदंश से पीड़ित लोग अपना बँध तुड़वाने के लिये दूर-दूर से आते है|     चुकि बँध एक अस्थाई निशान है जो सर्प के काटने पर व्यक्ति तुरंत बिष वाले स्थान के चारो तरफ उँगली फेरकर मिट्टी या भभूति से बना लेता है| बाद मे कभी भी दिवाली वाली भाई दूज पर सर्पदन्श से पीडित उक्त व्यक्ति को बँध तुड़वाने के लिये रतनगड़ धाम पर कुँवर बाबा और माता के दरबार मे आना होता है| कार्तिक माह की भाई दूज और नवरात्री पर तो यहाँ भक्तो की भारी भीड़ होती है, माता के मंदिर मे जवारे चढाने के लिये भक्तो का जनसैलाब उमड़ता है|     यहाँ आकर साक्षात शक्ति के दर्शन हो जाते है, भाई दूज पर सर्पदन्श से पीडित इंसान या जानवर दूर से ही मंदिर को देखकर मूर्क्षित हो जाते है| फिर उस व्यक्ति को कुछ आदमी स्ट्रेचर या कंधो पर उठाकर सीढियो के सहारे मंदिर तक पहुँचाते है

बुरहानपुर ( Burhanpur )

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मध्यप्रदेश के दक्षिण पश्चिम मे महाराष्ट्र राज्य की सीमा से लगा हुआ निमाड़ क्षेत्र का मुगलकालीन नगर बुरहानपुर अब जिला मुख्यालय है जो दक्षिण और उत्तर भारत के बीच पुराना व्यापारिक रास्ता हुआ करता था | इस नगर की स्थापना शासक नसरुद्दीन ने 14 वी सदी मे की थी | बाद मे अब्दुल रहीम खाँन खाना यहाँ के सुल्तान रहे | ताप्ती नदी के किनारे बसे इस शहर मे अनेको एतिहासिक स्थापत्य कला की इमारते है |  रुई, मखमल और जरी के लिये बुरहानपुर प्रसिद्ध था | बादशाह शाहजहाँ की प्रिय बेगम मुमताज की नगरी बुरहानपुर ही थी, सन 1531 ई. मे मुमताज की म्रत्यु के बाद बादशाह ने उनकी अस्थिया यहाँ से आगरा मे ले जाकर उनकी याद मे खूबसूरत मकबरे ताजमहल का निर्माण करवाया था | आज बुरहानपुर जिले मे 3 तेहसीले नेपानगर, बुरहानपुर और खकनार है | शाहपुर इस जिले का चौथा बडा कस्बा है | नेपानगर जिले का औधोगिक नगर है, यहाँ मध्यप्रदेश का सबसे बडा पेपर मिल है | केले की खेती के लिये यह जिला प्रसिद्ध है | Tourism-: 1. सिंघखेडा = बुरहानपुर से 20 Km दूर यहाँ शाहजहाँ द्वारा निर्मित सुंदर गुलआरा महल है | 2. असीरगढ किला = बुरहानपुर से 21 km दूर खंडवा

Morena मुरैना

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म.प्र. के उत्तर मे ग्वालियर से 30 Km दूर राजस्थान की सीमा से सटा हुआ मुरैना जिला है | इसके पडोसी जिले भिन्ड, श्योपुर, ग्वालियर, धौलपुर है | चम्बल सम्भाग का मुख्यालय मुरैना जिला तेल और गजक उधोग के लिये विश्वप्रसिद्ध है | बानमोर यहाँ का प्रमुख औधोगिक कस्बा है | चम्बल, सांक, आसन और कुंवारी नदियो के किनारे बीहड़ का क्षेत्र है, जो बागियो का गढ कहलाता था | महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल की जन्मभूमि मुरैना मे गेंहू, सरसो, चना की पैदावार अधिकता से है | https://m.facebook.com/ग्वालियर-शहर-1674209349477552/?ref=bookmarks Tourism-: 1. राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारन्य= चम्बल नदी के किनारे फैले इस क्षेत्र मे घडियाल, मगर, कछुए, डाल्फिन और ऊदविलाव जैसी अनेको जलीय प्रजातिया पाई जाती है | देवरी के पास वोटिंग का मजा ले और नवम्बर से मार्च तक प्रवासी पक्षी देखने को मिल जाते है | 2. ककनमठ= 11वी सदी का कीर्तिराज कछवाह द्वारा निर्मित 35 मी. ऊंचा प्राचीन महादेव मंदिर है | 3. जैनमंदिर= शांतिनाथ, आरहनाथ, पाशर्वनाथ, कुन्थनाथ और आदिनाथ भगवान के प्राचीन मंदिर और मूर्ति समूह सिहोनिया मे बने है | 4. बटेश्

चित्रकूट (Chitrakoot)

चित्रकूट मध्यप्रदेश के सतना जिले मे उत्त्तरप्रदेश की सीमा के पास स्थित है | चित्रकूट मंदाकिनी नदी किनारे, विन्ध्य पर्वत श्रंखला पर स्थित एक धार्मिक और रामायण कालीन एतिहासिक नगर है |   भगवान श्रीराम ने वनवास के कई साल यही के वनो मे रहकर बिताये थे, उनके साथ सीता जी और लक्ष्मण जी भी रहे थे | चित्रकूट मे अनेको मंदिर, घाट, तालाब बने है | Place -: सती अनुसुइया आश्रम, कामदगिरि पर्वत, मंदाकिनी नदी, रामघाट, भरत कूप, तुलसीदास मंदिर, हनुमान जलधारा, जानकी मंदिर, स्फटिक शिला, रामजानकी मंदिर, गुप्त गोदावरी गुफा, लक्ष्मण पहाडी आदि यहाँ की प्रमुख दर्शनीय जगह है | Travel -: कर्वी रेलवे स्टेशन पास मे है, जो झाँसी - बान्दा लाइन पर है | सतना, कटनी, मैहर, महोबा नजदीकतम शहर है  | खजुराहो मे नजदीक का एयरपोर्ट है | कब जाये -: अमावस्या, दीपावली, रामनवमी पर जाने का विशेष महत्तव है | इस समय भीड़ भी अधिक होती है | चाहे तो कभी भी जा सकते है |

Handia - Nemawar

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हंडिया और नेमावर कस्बे नर्मदा नदी के तट पर आमने सामने दो अलग अलग ज़िलो में बसे हुए है, जो नदी पर बने एक पुल द्वारा जुडे है| यह स्थान इन्दौर रोड पर हरदा से 20km की दूरी पर है| हँडिया कस्बा हरदा जिले में जबकि नेमावर कस्बा देवास जिले में पड़ता है| * Handia -     मुगलकाल मे हन्डिया एक प्रमुख व्यापारिक स्थान था, बाद मे ये सिन्धिया रियासत का हिस्सा रहा| अकबर के नौरत्नो मे एक बजीर मुल्ला दो प्याजा की मजार यही है| हंडिया से 2km दूर 3 ऊंचे टीले पर प्राचीन मनमोहक तेली की सराय बनी है, जो अब खंडहर सी हो चुकी है| हंडिया मे नर्मदा किनारे प्राचीन रिद्धनाथ महादेव जी का मंदिर निर्मित है|   * Nemawar > नेमावर मे नदी किनारे एक छोटी पहाडी पर बहुत प्राचीन सिद्धनाथ महादेव जी का भव्य, अलौकिक विशाल मंदिर बना हुआ है| मान्यता है कि इस सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण महाभारत कालीन है| नेमावर कस्बा नर्मदा जी का नाभि स्थान कहलाता है क्योंकि यह जगह नर्मदा नदी का मध्य स्थान है| नेमावर एक धार्मिक और शान्त मनमोहक नगर है| यह नगर जैन सिद्ध क्षेत्र भी है क्योंकि यहाँ कई प्राचीन कालीन जैन मंदिर भी निर्मित

खजराना गणेश मंदिर

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खजराना इन्दौर शहर की एक जगह का नाम है, यहाँ स्थित गणेश भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है| जो इन्दौर के अलावा पूरे देश मे श्रद्धालुओ के लिये प्रमुख विनायक मंदिर है | इस मंदिर का निर्माण 17 वी सदी मे इन्दौर की तत्कालीन महारानी देवी अहिल्याबाई जी ने करवाया था|   आज यह मंदिर देश के सबसे धनी गणेश मंदिरो मे से एक है| इस मंदिर का रखरखाव सरकारी ट्रस्ट करता है, जिसका प्रमुख जिला कलेक्टर होता है | अब यहाँ ओनलाइन चंदा चढाने की सुविधा भी है|   गणेश चतुर्थी को यहाँ मेला लगता है, मंदिर परिसर मे अन्य देवी देवताओ के मंदिर भी बने है | प्रत्येक बुधवार को यहाँ विशेष पूजन अर्चना होती है | आरती का समय सुबह 8:30 और रात मे 8 बजे रहता है | और प्रसादी मे लड्डू का भोग लगता है| Travels-: नवलखा बस स्टैंड से दूरी 5 Km, इन्दौर रेलवे स्टेशन से दूरी 6 Km, इन्दौर एयरपोर्ट से दूरी 14 Km कब जाये-: कभी भी जा सकते हो, (रात 12 से सुबह 6 बजे तक मंदिर बंद रहता है)

राजबाड़ा (indore)

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मध्यप्रदेश के इन्दोर शहर की पहिचान राजबाडा एक एतिहासिक राजशाही इमारत है, जो होल्कर वंश की सत्ता का केंद्र रहा है |   आज आधुनिक शहर इन्दौर मे राजबाडा प्राचीनता की याद संजोये है, राजबाडे का पांच मंजिला भव्य दरवाजा लोगो को बर्बस ही अपनी ओर आकर्षित करता है | इसकी ऊपरी तीन मंजिल चूना, ईट और ज्यादातर लकडी के उपयोग से बनी है|      राजबाडे की चौकोर इमारत मे अंदर प्रवेश करते ही सामने की तरफ आँगन मे दो मंजिला पत्थरो से निर्मित भवन है, जो नीचे की तरफ आधार स्तम्भो और ऊपर सभा कक्ष के रूप मे बना है| ऊपर जाने के लिये पत्थरो की सीढीया बनी है, जहाँ से चौकोर राजबाडा का मनोहारी द्रश्य अच्छा लगता है| ऊपर ही एक बडे से कक्ष मे संग्रहालय बना है जिसमे होल्कर वंश की प्राचीन धरोहरे आप देख सकते है| राजबाडे के पीछे की ओर रियासत कालीन एक प्राचीन बडा सा मंदिर भी बना है|     राजबाडा आज इन्दौर की प्रमुख व्यवसायिक जगह बन चुका है, जिसके आसपास इन्दौर का प्रमुख बाज़ार स्थापित है| हजारो की संख्या मे लोग यहाँ खरीददारी करने आते है| आज इन्दौर एम.पी. की व्यवसायिक राजधानी है, तभी तो इसे मिनी बोम्बे कहा जाता है| Travel-:

Bhopal (भोपाल)

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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल मे दर्जनो छोटे बडे तालाब है, इसलिये इसे तालाबो का शहर कहाँ जाता है| भोपाल की नीव राजा भोजपाल ने डाली थी, भोपाल की प्राक्रतिक सुंदरता से वशीभूत होकर राजा भोजपाल ने धार से अपनी राजधानी यहाँ बनाई, इसलिये इस शहर का नाम भोजपाल नाम से प्रेरित होकर भोपाल पडा| #पर्यटन की दृष्टि से भोपाल काफी संपन्न शहर है, जहाँ आप परिवार के साथ घूम सकते है-: बड़ा तालाब, बिरला मंदिर, केरवा डैम, कालियासोत डैम, हथाईखेडा डैम, छोटा तालाब, ताजुल मस्जिद, राजकीय संग्रहालय, वन विहार, सैर सपाटा आदि यहाँ के प्रमुख स्पौट है | #आसपास-: *भोजपुर मंदिर= एतिहासिक प्राचीन शिव मंदिर जहाँ सबसे बडा शिवलिंग है|    भोपाल से 15km *भीमवेटका = विश्व विरासत स्थल जहाँ पत्थरो पर चित्रकारी की गई थी |    भोपाल से 20km #यातायात *रेलमार्ग= भोपाल और हबीबगंज स्टेशन से देश के प्रमुख शहरो के लिये रेलसेवा है| दिल्ली, आगरा, मुंबई, नागपुर, जबलपुर, झाँसी, ग्वालियर, चैन्नई, कोलकाता, गोवा आदि जगहो से सीधे रेल सेवा है | *वायुमार्ग= दिल्ली, मुंबई, रायपुर, लखनऊ, इन्दौर, ग्वालियर से भोपाल के लिये फ्लाइट सु

भिन्ड (Bhind)

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उत्तरी मध्यप्रदेश मे राजस्थान और उ.प्र. राज्य की सीमाओ को छूता हुआ भिन्ड जिला है, जो कि चम्बल सम्भाग के अन्तर्गत मुरेना, दतिया, ग्वालियर, जालौन, इटावा आदि जिलो का पडोसी जिला है|    भिन्ड जिला कभी दस्यू प्रभावित इलाका था, यहाँ के बीहडो मे डाकूओ का पनाह होता था| आज भी भिन्ड मे बंदूक चलाने वालो के शौक मे कमी नही हुई, आज भी यहाँ संख्या मे भारत की सबसे ज्यादा लायसेंसी बंदूके है| यहाँ की युवा पीढी अब सेना मे जाकर बीहडो की बजाय सरहदो पर दुशमनो के होश उडाती है|    भौगोलिक नजर से यहाँ कि ज्यादातर भूमि समतल और उपजाऊ है, चम्बल और सिन्ध यहाँ की प्रमुख नदिया है| खेती प्रधान जिला होने के साथ साथ भिन्ड औधोगिक और पर्यटन की द्रश्टि से भी बहुत खास है|    मालनपुर यहाँ का इंडस्ट्रियल क्षेत्र है, जहाँ पर कई अन्तराष्ट्रीय स्तर के कारखाने स्थापित है, जो उत्पादन और रोजगार के नजरिये से बहुत मायने रखते है|    प्रशासनिक रूप से जिले को 8 तेहसीलो मे विभक्त किया गया है-: भिन्ड, लहार, गोहद, मेहगाँव, मिहोना, रौन, अटेर और गोरमी है| तथा जिले के अन्य कस्बो मे मौ, दबोह, अमायन, फूप, अकोडा, मछन्ड, आलमपुर भी आते है|  

उज्जैन (Ujjain)

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भगवान महाकाल 'शिव जी' की नगरी उज्जैन का प्राचीन नाम अवन्तिका है, जो 16 प्रमुख जनपदो मे से एक थी| मध्यप्रदेश राज्य के प्रमुख धार्मिक नगर उज्जैन मे महाकाल शिव प्रभु का दक्षिणामुखी ज्योतिर्लिंग है, जहाँ सुबह भस्मारती होती है| मंदिर के पीछे, हरसिद्धि माता मंदिर की तरफ बड़ा तालाब है तथा उज्जैन मे क्षिप्रा नदी पर सिंहस्थ कुम्भ मेला लगता है| उज्जैन से कर्करेखा होकर गुजरती है इसलिये प्राचीन काल मेसमय गणना हेतु यहाँ वैधशाला की स्थापना की गई थी|    उज्जैन के प्रमुख शासको मे राजा विक्रमादित्य और सम्राट अशोक का नाम पहले आता है| काल गणना हेतु विक्रम सम्बत की शुरूआत और रचना महाराजा विक्रमादित्य के पुण्य करमो का ही फल है| अवन्तिका यानि उज्जैन मे संस्कृत के ग्याता और प्रसिद्ध कवि कालिदास का जन्म हुआ था, तभी तो इसका चौथा नाम कालिदास नगरी है|    उज्जैन के अन्य दर्शनीय स्थल-: * भैरवनाथ मंदिर (यहाँ प्रसाद के साथ मदिरा भी चढाई जाती है), * भत्रहरि गुफा, * गड़कालिका मंदिर, * मंगलनाथ मंदिर (मंगल ग्रह की दशा और शांति के लिये भक्त आते है), * चिंतामण गणेश मंदिर, * गोपाल मंदिर आदि, य

हनुमंतिया टापू (Hanumantiya Tapu)

नर्मदा नदी पर बने विशाल इंदिरा सागर बाँध का एक भू-भाग हनुमन्तिया टापू कहलाता है, खंडवा जिले मे मून्दी कस्बे के पास हनुमंतिया टापू है| मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड ने इंदिरा सागर की लहरो के बीच हनुमन्तिया टापू पर पर्यटको के लिये सभी सुविधाये उपलब्ध करवाई है| जैसे कि- ठहरने को काँटेज, खाने को रेस्टोरेन्ट, फूड जोन, घूमने को गार्डन, वोट और क्रूज है|    पर्यटक यहाँ आकर क्रूज की सवारी करते हुए प्रकृति और सागर सा अच्छा एहसास ले सकते है| साथ ही लोग यहाँ ट्रेकिंग और विभिन्न वाटर एक्टिविटीज का आनंद भी ले सकते है या कर सकते है| शाम को सान्स्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी आप दर्शक बनकर ले सकते है| म.प्र. सरकार के टूरिज्म बोर्ड द्वारा यहाँ प्रतिवर्ष दो महीनो तक चलने वाले "जल- महोत्सव" के दौरान तो हनुमंतिया टापू पर काफी संख्या मे सैलानी आते है|   

तिघरा बाँध (Tighara Dam,)

म.प्र. के पर्यटन और एतिहासिक महानगर ग्वालियर की प्यास बुझाने वाला तिघरा डैम शहर से 20km दूर एक शान्त जलमग्न स्थान है| जहाँ काफी संख्या मे लोग सुकून शांति के पल बिताने आते है| यहाँ आने वाले सैलानियो के लिये पर्यटन विभाग ने फूडजोन और बोटिन्ग क्लब की सुविधा चालू करवा रखी है, यहाँ आप परिवार जनो या मित्रो के साथ आकर शांत प्रकृति का नजारा लेते हुए बोटिंग का मजा ले सकते है | https://m.facebook.com/ग्वालियर-शहर-1674209349477552/?ref=bookmarks पहुंच मार्ग-: ग्वालियर रेलवे स्टेशन (GWL), दिल्ली-झाँसी रेल लाइन पर एक बड़ा रेल जंक्शन है| ग्वालियर मे एयरपोर्ट(राजमाता विजयाराजे सिन्धिया विमानपत्तन) भी है, जहाँ आप दिल्ली, इन्दौर, मुंबई और भोपाल से हवाईजहाज द्वारा भी जा सकते है|     तिघरा जाने के लिये ग्वालियर शहर के किसी भी स्थान से आपको टैक्सी, औटो या मैजिक वाहन उपलब्ध हो जायेन्गे |