Mandu मांडू

मांडू का पुराना नाम मांडव है, जो मध्यप्रदेश के धार जिले मे स्थित एक प्राचीन गाँव है| मांडू मालवा के पठार पर स्थित है जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई करीब 2 हजार फीट है| मान्डव के दक्षिण दिशा मे निमाड क्षेत्र का विस्तार है| बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा ऊदल ने इसी जगह आकर युद्ध किया था, जिसे इतिहास मे माड़ौगढ की लड़ाई के नाम से जाना जाता है| 10वी सदी मे परमार वंश के शासको ने सर्वप्रथम मांडू को अपनी राजधानी बनाया था | परमार वंश के प्रतापी राजा जयवर्मन और भोजराज हुए, नीलकंठ महादेव मंदिर उसी काल का बना है | जिनमे राजा भोजराज ने मांडू से दूर अन्य जगह झीलो के किनारे अपनी नई राजधानी बनाई, जिसका बाद मे नाम भोपाल पडा |
   13वी सदी मे मांडू पर मुगलो ने कब्जा कर लिया था | ग्यासुद्दीन और बाजबहादुर के काल मे यहाँ अनेक महल और किले बनवाये गये इसलिये मांडू को किलो की नगरी कहते है| बाद मे मांडव इन्दौर की मराठा रियासत के अधिपत्य मे आ गया था | दिल्ली दरवाजा, जहाँगीर दरवाजा, तारापुर दरवाजा इस नगर के प्रमुख प्रवेश द्वार है 
   मांडू एक छोटा सा, कम आबादी वाला विस्त्रत क्षेत्रफल मे फैला पहाढी गाँव है| पहाढी इलाका होने से वर्षभर यहाँ हरियाली बिछी रहती है| नीम, आम, अमरूद, इमली और बरगद के पेड़ यहाँ बडी संख्या मे है| झरने, तालाब, मंदिर, मस्जिद, किले, वन, बगीचे और महलो के कारण मांडू का वातावरण आनंदित करने वाला रहता है, इसलिये इसे खुशियो का शहर भी कहते है|



                      Jahaaj Mahal

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(1) जहाज महल =
दो जलाशयो के मध्य निर्मित दो मंजिला आयताकार यह महल बरसात मे पानी पर तैरते एक जहाज की तरह नजर आता है, इसलिये इसे जहाज महल कहते है| इसका निर्माण खिलजी शासक ने 14 वी सदी मे करवाया था | इस महल के सामने तालाब और बगीचा का समागम महल की सुंदरता पर चार चाँद लगाता है| महल की छतो पर बरसाती जल निकासी का उत्क्रष्ट उदाहरण देखने को मिल जायेगा |


(2) हिंडोला महल =
पत्थर की टेढी और सपाट बाहरी दीवारो से बना यह महल जहाज महल के पास बना हुआ है, जिसे ग्यासुद्दीन ने बनवाया था | हिंडोला महल के दाई तरफ चम्पा बाबड़ी और हमाम खाना महल वास्तुकला के बेजोड़ दर्शनीय स्थल है |

                       Hindola Mahal


(3) तबेली महल =
जहाज महल के सामने दो मंजिला छोटा सा महल है जिसमे संग्रहालय संचालित है| तबेली महल मे जाकर आप पुरातन कालीन वस्तुए निहार सकते हो |


(4) नीलकंठ मंदिर =
सोनगढ किले से 1km पहले महादेव जी का मंदिर पहाढी के तल मे बना है, यहाँ जाने के लिये सीढियो से उतरकर पहुँचना होता है | पत्थरो ने निर्मित यह मंदिर पहाड़ को काटकर बनाया गया है| मंदिर के अंदर शिवलिंग पर प्राक्रतिक पानी की धारा गिरती है|


(5) बाजबहादुर महल =
संगीत के शौकीन मुगल शासक बाजबहादुर ने रेवाकुंड के सामने पहाढी के ढलान पर इस महल का निर्माण करवाया था | चौकोर आकार मे बने इस महल के अंदर एक सुंदर बगीचा भी है|


(6) रूपमती महल =
राजा बाजबहादुर ने अपनी प्रियतम रानी रूपमती के लिये इस महल का निर्माण करवाया था | बाजबहादुर के महल से थोडा आगे चलने पर रूपमती का महल ऊंची पहाढी पर स्थित है| रूपमती महल के ऊपर दोनो ही किनारो पर छतरीनुमा चौकोर खुले कक्ष बने है| महल की छत से मांडू का नजारा सर्वाधिक दूर तक मनोहारी दिखता है|

                    Kaankada  Khoh


(7) काँकडा खोह =
धार रोड पर मांडू से 4km पहले कांकडा खोह नाम के स्थान पर एक झरना है, यहाँ 100 फुट के करीब गहरी खाई है| बरसात मे बडी जलधारा पर्वतो से होते हुई इसी जगह झरने का रूप लेती हुई नीचे गिरती है| यहाँ आकर आप काँकडा घाटी का नजारा ऊँट की सवारी करते हुए भी ले सकते है | बच्चो के लिये यहाँ विशेष मनोरंजन पार्क बनाये गये है|


(8) अन्य स्थान =
मांडू के अन्य दर्शनीय स्थलो मे अशर्फी महल, होशंगशाह का संगमरमर से बना मकबरा, जामी मस्जिद, हिंगलाज मंदिर और लोहानी गुफा आदि प्रमुख है|


* Hotel >>
मध्यप्रदेश सरकार के मालवा रिट्रीट होटल के अलावा यहाँ और भी छोटे बडे होटल ठहरने को है|


* Weather >>
बरसात और फेस्टिवल के समय मे यहाँ आने पर अधिक मजा आता है |


* Food >>
मांडू का स्पेशल फूड - दाल बाफले, पनिया दाल और इमली है |


* Travel >>
धार से 30 km और इंदौर से 100 km दूरी पर मांडू स्थित है| बस की सुविधा मांडू जाने के लिये बहुत ज्यादा अच्छी नही है| बेहत्तर होगा कि टैक्सी कार किराये से लेकर यहाँ पहुँचे | मांडू के नजदीक का एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन इंदौर शहर मे है |

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